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"निवेश का महाकुंभ": सीएम योगी ने 2,850 करोड़ के समझौते को बताया ऐतिहासिक

लेखक की तस्वीर: ब्यूरोब्यूरो

ब्यूरो | फरवरी 22, 2025


लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड द्वारा राज्य सरकार के साथ 2,850 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर करने को प्रदेश में निवेश के नए युग की शुरुआत बताया। लखीमपुर खीरी जिले के कुम्भी क्षेत्र में देश के पहले बायोपॉलिमर प्लांट की आधारशिला रखते हुए उन्होंने इस निवेश को "निवेश का महाकुंभ" करार दिया।


सीएम योगी ने कहा, "आज हम निवेश के महाकुंभ के साक्षी हैं, जहां बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच 2,850 करोड़ रुपये के एमओयू को धरातल पर उतारा जा रहा है। यह देश में अपनी तरह का पहला निवेश है। मैं प्रदेश सरकार, बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड और लखीमपुर जिले के लोगों को इस अनुकूल निवेश माहौल के लिए बधाई देता हूं।"

 
सीएम योगी
 

पर्यावरण संरक्षण में बड़ा कदम

योगी आदित्यनाथ ने बताया कि यह प्लांट पॉली लैक्टिक एसिड (PLA) से जैविक प्लास्टिक का उत्पादन करेगा, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। "यह पहली एकीकृत इकाई है, जहां बायोप्लास्टिक का उत्पादन किया जाएगा। यहां बनी बोतलें 3-6 महीनों में प्राकृतिक रूप से मिट्टी में घुल जाएंगी। यह प्रधानमंत्री मोदी के 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' के संकल्प को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम है," उन्होंने कहा।


सीएम योगी ने यह भी आश्वासन दिया कि इस परियोजना से किसी भी प्रकार का तरल अपशिष्ट (Zero Liquid Discharge) नहीं निकलेगा, जिससे नदियों और जलस्रोतों को कोई नुकसान नहीं होगा।


हजारों युवाओं को मिलेगा रोजगार

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना से हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा और प्रदेश में औद्योगिक विकास को नया आयाम मिलेगा। साथ ही उन्होंने बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड की सराहना करते हुए कहा कि "यह कंपनी उत्तर प्रदेश में 10 चीनी मिलों का संचालन कर रही है और गन्ना किसानों को 7 से 10 दिनों के भीतर भुगतान सुनिश्चित कर रही है। अगर हम किसानों को नई तकनीक से जोड़ें, तो उनकी उपज तीन गुना तक बढ़ सकती है।"


पर्यावरण संरक्षण और नवाचार का संगम

सीएम योगी ने कहा कि "वैश्विक तापमान वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) पर्यावरण प्रदूषण की चेतावनी है। जितना अधिक हम पर्यावरण के प्रति जागरूक होंगे, उतना ही अनुकूल वातावरण हमें मिलेगा।"


यह परियोजना उत्तर प्रदेश को हरित औद्योगिकीकरण (Green Industrialization) की दिशा में आगे बढ़ाने का काम करेगी और भविष्य में प्रदेश को बायोप्लास्टिक निर्माण का हब बना सकती है।

 


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