संवाददाता | मार्च 12, 2025
बरेली: उत्तराखंड पुलिस द्वारा बरेली में की गई छापेमारी अब विवादों में घिरती नजर आ रही है। पुलिसकर्मियों पर निर्दोष ग्रामीणों के घरों में जबरन घुसने, दरवाजे तोड़ने और महिलाओं से अभद्रता करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले में 14 ग्रामीणों के स्वजनों ने पुलिस के खिलाफ थाने में 8 तहरीरें दी हैं।
बिना सूचना दबिश, निर्दोषों की गिरफ्तारी पर सवाल
रविवार रात उत्तराखंड पुलिस के 300 से अधिक अधिकारी और पुलिसकर्मी बारात के स्टीकर लगी बसों और कारों से बरेली के फतेहगंज पश्चिमी और अगरास गांवों में पहुंचे। इस दौरान कई घरों में दबिश दी गई और 15 ग्रामीणों को हिरासत में लिया गया। हालांकि, पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिलने पर सोमवार को इनमें से 14 को निर्दोष बताकर छोड़ दिया गया, जबकि केवल एक व्यक्ति आसिफ की गिरफ्तारी दर्ज की गई।
एसटीएफ ने पकड़े पांच आरोपी, एक उत्तराखंड निवासी
इस बीच, मंगलवार को एसटीएफ ने मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें से एक आरोपी उत्तराखंड का रहने वाला है।

उत्तराखंड पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
बरेली पुलिस ने उत्तराखंड पुलिस की इस कार्रवाई पर गंभीर आपत्ति जताई। एसएसपी अनुराग आर्य ने रिकॉर्ड चेक कर बताया कि जिन 15 ग्रामीणों को हिरासत में लिया गया था, उनमें से 14 के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं था, जबकि केवल एक व्यक्ति पर मारपीट का केस था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उत्तराखंड पुलिस द्वारा संदिग्ध बताए गए 9 अन्य लोग बरेली के निवासी ही नहीं थे, बल्कि वे उत्तराखंड के ही थे। बाद में उत्तराखंड पुलिस ने भी इसे स्वीकार कर लिया और सभी को पूछताछ के बाद छोड़ दिया।
दोनों राज्यों के IG ने की बातचीत
इस विवाद के बाद बरेली के IG डॉ. राकेश सिंह और कुमाऊं के IG योंगेंद्र सिंह रावत ने फोन पर चर्चा की। दोनों अधिकारियों ने इस बात पर सहमति जताई कि भविष्य में सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाएगा और तस्करों या अन्य अपराधियों के खिलाफ समन्वय बनाकर कार्रवाई की जाएगी।
उत्तराखंड पुलिस की इस कार्रवाई से ग्रामीणों में आक्रोश है, और अब प्रशासन मामले की जांच का भरोसा दे रहा है।
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