ब्यूरो | दिसंबर 27, 2024
दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की गई रिपोर्ट ने बैंक धोखाधड़ी के मामलों में चिंताजनक वृद्धि को उजागर किया है। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में बैंकों में धोखाधड़ी की घटनाओं में 8 गुना वृद्धि दर्ज की गई, जिससे कुल धोखाधड़ी का आंकड़ा 21,367 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह आंकड़ा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले बहुत अधिक है, जिसमें 2,623 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी रिपोर्ट की गई थी। इस वृद्धि ने भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में सुरक्षा की गंभीर चिंताओं को जन्म दिया है, और यह ग्राहकों के विश्वास के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
रिजर्व बैंक ने बताया कि इन धोखाधड़ी के मामलों का बड़ा हिस्सा निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में हुआ है। आंकड़ों के अनुसार, निजी क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी की घटनाएं अधिक संख्या में हुईं, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी की राशि का हिस्सा अधिक रहा। खासतौर पर, कार्ड और इंटरनेट धोखाधड़ी में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी सबसे अधिक रही है। यह दर्शाता है कि डिजिटल बैंकिंग और ऑनलाइन लेन-देन के बढ़ते उपयोग के साथ धोखाधड़ी के नए तरीके भी उभरकर सामने आए हैं।
रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वे धोखाधड़ी की घटनाओं की रिपोर्टिंग में देरी न करें और यह सुनिश्चित करें कि हर धोखाधड़ी घटना को बिना किसी देरी के रिकॉर्ड किया जाए। इसके लिए बैंकों को एक मजबूत रिपोर्टिंग प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है, जिससे धोखाधड़ी की घटनाओं का समय पर पता चल सके और उन्हें ठीक से ट्रैक किया जा सके। साथ ही, बैंक कर्मचारियों की जवाबदेही भी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि धोखाधड़ी के मामलों में कोई भी चूक न हो।
बैंकों के लिए यह समय है कि वे अपनी सुरक्षा प्रणालियों को और भी सुदृढ़ करें। ग्राहकों को जागरूक करना और धोखाधड़ी के प्रति उनकी सतर्कता को बढ़ाना भी जरूरी है. यह सुनिश्चित करने के लिए बैंकों को अपनी साइबर सुरक्षा रणनीतियों को फिर से देखना होगा, ताकि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर होने वाली धोखाधड़ी से बचा जा सके। इसके अलावा, ग्राहकों को अपनी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी की सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए। किसी भी संदिग्ध गतिविधि का तुरंत रिपोर्ट करना उनके हित में होगा।
रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वे धोखाधड़ी के मामलों का विश्लेषण करें और उनका अध्ययन करके ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए रणनीतियां तैयार करें. इससे न केवल बैंकों की सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि ग्राहकों का विश्वास भी पुनः स्थापित किया जा सकेगा. इस बढ़ते धोखाधड़ी संकट को रोकने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि भारतीय बैंकिंग प्रणाली में सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके और लोगों का विश्वास बनाए रखा जा सके।
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