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"मियां-तियां" या "पाकिस्तानी" कहना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अपराध नहीं: सुप्रीम कोर्ट

लेखक की तस्वीर: ब्यूरोब्यूरो

ब्यूरो | मार्च 4, 2025


नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी को ‘मियां-तियां’ या ‘पाकिस्तानी’ कहने को गलत तो माना जा सकता है, लेकिन इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला अपराध नहीं माना जा सकता।

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने झारखंड के एक सरकारी कर्मचारी को ‘पाकिस्तानी’ कहने के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामला रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।

 
सुप्रीम कोर्ट
 

क्या था मामला?

झारखंड में एक उर्दू अनुवादक और कार्यवाहक क्लर्क ने शिकायत दर्ज कराई थी कि सूचना के अधिकार (RTI) से जुड़ी जानकारी मांगने के दौरान आरोपी ने उनके धर्म को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की। आरोप था कि सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्यों से रोकने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग भी किया गया। इसके आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 298 (धार्मिक भावनाएं आहत करना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान) और 353 (लोक सेवक को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या बल प्रयोग) के तहत मामला दर्ज किया था।


सुप्रीम कोर्ट का फैसला

शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी द्वारा दिए गए बयान भले ही अनुचित हों, लेकिन इससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा गंभीर अपराध नहीं बनता। कोर्ट ने पाया कि आरोपी की हरकतों से शांति भंग होने की संभावना नहीं थी और न ही किसी प्रकार के हमले या बल प्रयोग के सबूत मिले। इसी आधार पर अदालत ने आरोपी के खिलाफ दर्ज मामला खारिज कर दिया।


इस फैसले को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि किस तरह के बयान कानूनी अपराध की श्रेणी में आते हैं और किन मामलों में धार्मिक भावनाओं के आहत होने का आधार कमजोर माना जा सकता है।

 



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